||कष्ट के निवारण का अचुक मंत्र||
Meaning of this mantra as follow-
I meditate on Shree Ganesha Ji who has a curved trunk(vkratunda) large body (mahakay) who has the brilliance of a million Suns.(suryakoti)
O Lord Ganesha please make all my works, free of obstacles, always.(nirvidhnam….sarvda).
||कष्ट के निवारण का अचुक मंत्र||
जो प्रथम पूज्य है,जो विध्नहर्ता है,जो ज्ञान ,आनदं ,विद्या और विवेक के स्वरुप है,चोसट कलाओ के स्वामी है| ऐसे परम पूज्य श्रीगणेश की आराधना करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है|
श्री गणेश जी के कई मंत्र प्रचलित है,परन्तु सबसे सरल मंत्र ||ॐ गं गणपते नमः || परम कल्याणकारी मंत्र है|
मंत्र जाप की विधि- प्रातःकाल आदि से निवर्त होकर शुद्ध वस्त्र(धुले हुए हो)पहन कर ऊनी आसन पर उतराभिमुखी /पूर्वा भिमुख होकर बेठ जाए भगवान श्री गणेश की मिट्टी की मूर्ति को एक लकड़ी के पट्टे पर वस्त्र बिछा कर उसपर रखे |
सर्वप्रथम पंचोपचार द्वारा श्रीगणेशजी का पूजन कर संकल्प ले कि मेरे इस अमुक(विशेष) कार्य की सफलता के लिए श्री गणेश जी के मंत्र का प्रतिदिन इतने जाप करूंगा (संकल्प जाप संख्या का ध्यान रखे,न अधिक और न ही कम किये जाएगे) |
सर्वप्रथम पंचोपचार द्वारा श्रीगणेशजी का पूजन कर संकल्प ले कि मेरे इस अमुक(विशेष) कार्य की सफलता के लिए श्री गणेश जी के मंत्र का प्रतिदिन इतने जाप करूंगा (संकल्प जाप संख्या का ध्यान रखे,न अधिक और न ही कम किये जाएगे) |
साबुत अक्षत रखे उसपर गाय के घी का दीपक रखे,भगवान श्री गणेश जी के दाहिने हाथ की ओर दीपक प्रज्जवलित करे,पंचोपचार-नारीयल,पुष्प,धूप,चंदन,दीप से पूजन करे|
पूजन के पश्चात ,मंत्र जाप आरम्भ करे,श्री गणेशजी कि कृपा से सभी कार्य सिद्ध होते है |
पूजन के पश्चात ,मंत्र जाप आरम्भ करे,श्री गणेशजी कि कृपा से सभी कार्य सिद्ध होते है |
व्यापार में विध्न आ रहे हो धन रुक रहा हो तो," माता लक्ष्मी जी "की कृपा के लिय नित्य प्रतिदिन गणपति लक्ष्मी प्राप्ति स्त्रोत करे|
ॐ नमो विध्न राजाय सर्व सौख्य प्रदयीने | दुष्टारिष्ट विनाशाय पराय परमात्मने ||
लम्बोदर महावीर्य नाग यज्ञोपशोतिम | अर्धचन्द्र धरं देवं विध्न व्यूह विनाशनम् ||
ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रीं ह्रे ह्रौं हृं हेराम्भय :नमो नमः| सर्वसिद्दीप्रदोसी त्वं सिद्दी बुधिप्रदो भव ||
चिन्तितार्थ प्रदस्त्वम हि सततं मोद्कप्रिय | सिंदुरारूर्ण वस्त्रेश्च पूजितो वरदायक||
इदं गणपति स्त्रोतं य: पठेद भक्तिमान नमः| तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्ण मुंचति ||
इस स्त्रोत का १०८ बार पाठ कर सिद्ध कर ले किसी दिन या दीपावली कि रात्रि में, तत्पश्चात प्रत्येक दिन प्रातः काल इस स्त्रोत पाठ करे , घर में धन धान्य कि वृद्धि होती है|
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